अखिलेश यादव का तीखा सवाल: विदेश नीति है या ‘फोटोशूट नीति’?

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

जब अमेरिका ने H-1B वीज़ा की फीस $1,00,000 (यानी 88 लाख रुपये) तक पहुंचा दी, तो भारत के विपक्षी नेता जैसे नींद से जागे विरोध के वीर बन गए। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार की ‘रणनीतिक चुप्पी’ पर कड़ा हमला बोला।

“हमारी विदेश नीति कमज़ोर है। अगर और देश भी ऐसा करने लगें तो क्या करेंगे? हमारी तैयारी क्या है? क्या सिर्फ अमेरिका के लिए सेल्फी और ‘Howdy Modi’ शो काफी है?”

अखिलेश की चिंता

अखिलेश ने साफ कहा कि ये फैसला सिर्फ वीज़ा नहीं, बल्कि भारत के होनहार IT प्रोफेशनल्स के सपनों पर सीधा प्रहार है। उत्तर प्रदेश में निवेश की बात करते हुए उन्होंने तंज कसा:

“जब इंफोसिस और सैमसंग आईं, तो सबने ताली बजाई। अब जब अमेरिका ने टाल दी वीज़ा की बिसात, तो सब चुप क्यों हैं?”

“तेल के लिए भी हम दूसरों पर निर्भर” – अखिलेश का तेली तंज

विदेश नीति की आलोचना के बहाने अखिलेश ने तेल, व्यापार और ज़मीन विवादों तक केंद्र सरकार की हर रिसाव करती नीति पर कटाक्ष किया:

“हम उस देश से व्यापार कर रहे हैं जिसने हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा किया है। और तेल के लिए भी हम लाइन में हैं।”

यानि सरकार के Make in India का अखिलेश जी ने “Beg from Abroad” अनुवाद कर दिया!

Congress की ताल से ताल मिलाते हुए समाजवादी चाल!

जहां कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पीएम मोदी की चुप्पी को “रोज़ का अपमान” कहा, वहीं अखिलेश यादव ने कहा – “अब विदेश नीति को सिर्फ शो-पीस नहीं, स्टैंड लेना होगा।”

अखिलेश यादव ने एक बार फिर डॉ. मनमोहन सिंह युग की मिसाल दी – जब देवयानी खोबरागड़े केस में भारत ने अमेरिका को आंख दिखाई थी।

H-1B का झटका – भारतीय IT सेक्टर की नींद उड़ी

अमेरिका में लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स H-1B वीज़ा से जुड़े हैं। नई फीस IT, स्टार्टअप और इंजीनियरिंग सेक्टर पर भारी पड़ सकती है। ट्रंप का यह कदम भारत के टैलेंट एक्सपोर्ट को “Tax Export” में बदल रहा है। लेकिन भारत सरकार अभी भी विदेश नीति के “Do Not Disturb” मोड में है।

88 लाख की फीस और 8 सेकंड की प्रतिक्रिया – सियासी गर्मी चरम पर!

अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया ने दिखा दिया कि H-1B वीज़ा अब सिर्फ विदेश नीति का मुद्दा नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति का नया मचाया हुआ ड्रामा है।

अब सवाल है:

क्या सरकार सिर्फ ‘फ्रेंडशिप बैंड’ बांधती रहेगी या अब ‘पॉलिसी बूट’ पहनेगी?

और हां, टेक्निकल लोग अब से वीज़ा अप्लिकेशन से पहले पूछेंगे “सीवी अपडेट किया या बैंक बैलेंस?

88 लाख की वीज़ा फ़ीस और ‘कमज़ोर पीएम’ की चीखें

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